धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे

इस साइट पर आप इससे पहले नरेन्द्र सिंह नेगी जी का गाना “मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू” सुन चुके हैं, जिसमें एक युवती जंगलों के पौधों को अपना मित्र मानते हुए उनसे अपने दिन की बात कह रही है। इसी तरह जंगलों में अपने मवेशियों को चराने गये दल के एक पुरुष और महिला के बीच हुई बातचीत पर आधारित है नेगी जी का यह गाना। रुमुक (शाम का धुंधलका) आ जाने पर जब सभी जानवर घरों की तरफ लौट पड़े तो लछी नाम की महिला अपनी गाय को ढूंढते हुए परेशान फिर रही है। उसका साथी ग्वाला उसको कहता है कि देखो अब अंधेरा हो चला है, ज्यादा देरी करना सुरक्षित नही है, गाय की चिन्ता छोड़ो और घर चलो. लेकिन महिला को डर है कि अगर वो बिना गाय को लिये घर पहुंचेगी तो उसके ससुराल वालों से डांट पड़ेगी।

वो लोग जो अपने बचपन के दिनों में पहाड़ के हरे-भरे जंगलों में गाय-भैंस चरा चुके हैं, उन्हें इस गाने को सुनने में विशेष आनन्द आयेगा। इस गाने में महिला स्वर मधुलिका नेगी जी का है। हमारे फोरम में आकर आप स्वयं मधुलिका नेगी जी से उनके लोकसंगीत के कैरियर से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं।

यह गाना ऋषिकेश से हमारे साथी नवीन सकलानी ने उपलब्ध कराया है। इस गीत को स्वर दिया है नरेन्द्र सिंह नेगी जी एवं मधुलिका नेगी जी ने। यह गीत एलबम “टका छन त टक टका” से लिया गया है।

भावार्थ : युवक कहता है – देखो शाम ढलने लगी है और पहाड़ के पीछे से निकलते हुए तारे किसी गहने की तरह लग रहे हैं, सभी ग्वाले और उनके मवेशी घर के लिये निकल गये हैं बस तू ही इस खतरनाक जंगल में अकेली रह गई है।

लछी नाम की महिला अपने साथी ग्वाले से अनुनय कर रही है कि वो गाय मिल जाने तक उसका साथ दे और उसे अकेला छोड़ कर ना जाये।

लछी कह रही है – मैं सारे जंगल में उस गाय को ढूंढते-ढूंढते परेशान हो गई हूँ, देखो मेरे हाथ पैरों में कितने कांटे चुभ गये हैं. हाय! अब तो अन्धेरा छाने लगा है, मैं कैसे अब उस गाय को ढूंढू?

युवक उसे चिढाते हुए कहता है – सभी ग्वाले जब मवेशियों पर नजर रखते हुए उन्हें चराते हैं तब तो तुम जंगली फल खाने में लगी रहती हो. जानवरों पर ध्यान देने की बजाय तुम पेड़ों की छाया में आराम फरमाती हो, अब गाय की चिन्ता छोड़ो और जल्दी घर चलो, रात घिरने लगी है।

लछी चिन्तित होकर कहती है – यदि गाय नहीं मिलेगी तो मैं घर जाकर ससुराल के लोगों को क्या जवाब दूंगी? मैं यही रह जाउंगी, तुम मेरे ससुरालियों से कह देना कि लछी जंगल में मर गई है।

लछी को ज्यादा परेशान देखकर अन्त में वह युवक यह बता ही देता है कि साथ के ग्वालों ने उसके साथ शरारत की है। वह कहता है- अरे लछी तू तो खेल-खेल मैं जान देने के लिये तैयार हो गई। चिन्ता मत कर लड़के तेरी गाय को हांककर पहले ही तेरे घर पहुंचा चुके हैं। अब फटाफट घर को चल, देख अंधेरा होने लगा है।

गीत के बोल देवनागिरी में

धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे….गौरु चली गेनी तू याखुली रे गे…
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे..
धार मा कु गेणु पार देख ऐ गे, गौरु चली गेनी तू याखुली रे गे..
ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गेdhaar-ma-key-genu

जागि जा रे ग्यैल्या- मि ना छोड़ी जै, जागि जा रे ग्यैल्या- मि ना छोड़ी जै…

सेरा बोण हेरी गौरु नि मिलीनि, हाथ खुट्युं म्यारा कांडा बैठी गे नि..
सेरा बोण हेरी गौरु नि मिलीनि, हाथ खुट्युं म्यारा कांडा बैठी गे नि..
कख जू खुज्योलू रात पोड़ी गे, जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै…

ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे..

दगड़ा का छोरो न गोरु चरेनी, तिन डाल्यूं मां भमोरा बुखैनी..
दगड़ा का छोरो न गोरु चरेनी, तिन डाल्यूं मां भमोरा बुखैनी..
गोरु नि देखि नि छेलु बैठीं रे, ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…

जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै, जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै…

गौरु नि मिलला मिन घोर नी आंण, सेसुरियों तै मुख कनु के दिखाण..
गौरु नि मिलला मिन घोर नी आंण, सेसुरियों तै मुख कनु के दिखाण..
जा तू जा रे ग्येल्या मी तैं छोड़ी दे, लछि मोरी ग्याई डेरा बोली दे.. .

ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे-ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…

ना रो लछि त्यारा गौरु चलि गे नी, ग्वैरू छोरों न डेरा हके ऐ नी..
ना रो लछि त्यारा गौरु चलि गे नी, ग्वैरू छोरों न डेरा हके ऐ नी..
तू त खेलूँ मा मौरन बैठी गे,ओए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…

जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै.
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…
जागी जा रे ग्येल्या- मि ना छोड़ी जै.
ओ ए लछि घोर रुमुक पोड़ि गे…

गीत : [audio:dhar-maa-ku-gainu-by-n-s-negi-madhulika-negi.mp3]

इस गीत का चुनाव व हिन्दी अर्थ हमारे सदस्य और लेखक हेम पंत का है।

अपना उत्तराखंड में उत्तराखंड से संबंधित गीत केवल उत्तराखंड के संगीत को बढ़ावा देने के लिये हैं। यदि आपको यह पसंद आयें तो निवेदन है कि बाजार से इन्हे सीडी या कैसेट के रूप में खरीद कर उत्तराखंडी संगीत को बढ़ावा दें। हम यथा-संभव सीडी या कैसेट की जानकारी देने का प्रयास करते हैं। यदि आपको इससे संबंधित जानकारी हो तो क़ृपया टिप्पणी में बतायें।

Lyrics of the song “Dhaar Maa Ku Genu Paar Dekh Ai Ge”

dhaar maa.n ku geNu.n paar dekh ai ge….gauru chalee genee too yaakhulee re ge…
o e lachhi ghor rumuk pori ge-oe lachhi ghor rumuk pori ge..
dhaar maa ku geNu paar dekh ai ge, gauru chalee genee too yaakhulee re ge..
oe lachhi ghor rumuk pori ge-oe lachhi ghor rumuk pori ge…

jaagi jaa re gyailyaa- mi naa chho .Dee jai, jaagi jaa re gyailyaa- mi naa chho .Dee jai…

seraa boN heree gauru ni mileeni, haath khuTyu.n myaaraa kaa.nDaa baiThee ge ni..
seraa boN heree gauru ni mileeni, haath khuTyu.n myaaraa kaa.nDaa baiThee ge ni..
kakh joo khujyoloo raat po .Dee ge, jaagee jaa re gyelyaa- mi naa chho .Dee jai…

o e lachhi ghor rumuk pori ge-oe lachhi ghor rumuk pori ge..

dagraa kaa chhoro n goru charenee, tin Daalyoo.n maa.n bhamoraa bukhainee..
dagraa kaa chhoro n goru charenee, tin Daalyoo.n maa.n bhamoraa bukhainee..
goru ni dekhi ni chhelu baiThee.n re, oe lachhi ghor rumuk pori ge…

jaagee jaa re gyelyaa- mi naa chho .Dee jai, jaagee jaa re gyelyaa- mi naa chho .Dee jai…

gauru ni milalaa min ghor nee aa.nN, sesuriyo.n tai mukh kanu ke dikhaaN..
gauru ni milalaa min ghor nee aa.nN, sesuriyo.n tai mukh kanu ke dikhaaN..
jaa too jaa re gyelyaa mee tai.n chho .Dee de, lachhi moree gyaa_ee Deraa bolee de.. .

o e lachhi ghor rumuk pori ge-oe lachhi ghor rumuk pori ge…

naa ro lachhi tyaaraa gauru chali ge nee, gvairoo chhoro.n n Deraa hake ai nee..
naa ro lachhi tyaaraa gauru chali ge nee, gvairoo chhoro.n n Deraa hake ai nee..
too t kheloo.N maa mauran baiThee ge,oe lachhi ghor rumuk pori ge…

jaagee jaa re gyelyaa- mi naa chho .Dee jai.
o e lachhi ghor rumuk pori ge…
jaagee jaa re gyelyaa- mi naa chho .Dee jai.
o e lachhi ghor rumuk pori ge…

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Album : Taka Chhan to Tak Taka,  Audio-Video : T.Series

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Dhaar Ma ku Ganu Rumuk Paodi Ge

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7 Thoughts to “धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे”

  1. bahut acha laga is geet ko sunkar or mujhe pahali baar madhulika negi ji ki aawaaj sunane ko mili is geet ke dwaara. mujhe bhi wo bachapan ke din yaad aa gaye jab hum bhi gwala jaya karte the.
    likhane ko bahut kuch hai yaaden bahut khuch likhane ko kaha rahi hai magar. waqt jyada likhane ki ezazat nahi deta hai.

    bahut- bahut shukriya hem ji or naveen ji or prabandhak ji ka. aap hume door pardesh me isi tarah uttarakhand ke geet sangeet se awgat karate rahenge ye hum aap sabhi per viawash karte hai.

  2. or han ek baat jo me hamesa se kahate aaya hun wo ab bhi padhne ko nahi milati hai wo hai
    sangeetkaar or lekhak ka naam. kyoki sangeet ke bian geet adhura hota hai or lekhak ke bina geet-sangeet ki utpati asambhaw hai is liye hume sangeetkaar or lekhak ko kabhi bhulana ya nadarat nahi rakhana chahiye.

  3. naveen saklani

    इस गाने के क्या कहने…मै जब जब इस गाने को सुनता हूं…तब तब मुझे अपने बचपन की याद आती है…
    मै भी रुम्की दौं अपने जानवरों को घर लाता था…और जानवर इतने समझदार होते है की अपने आप रस्ते को पहचानते है..
    उन को पता होता है की उन का घर उन का आंगन कौन सा है…
    बहुत शानदार गाना है…

  4. amitbhatt

    gana sunkar bachpan yaad aa gaya

  5. negi je uttrakhand ki jaan hai , uttrakhand sash hai negi je hu he song sunatae rehai mai bhagwan sai kamana karata hu..

  6. Dayal Sungh Negi

    I appreciate the efforts of this PATRIKA. d.s.negi

    1. Dayal Singh Negi

      Please check the spellings of SINGH

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